प्रशिक्षु बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाय उनसे रुपैया वसूल करने वाली सरकारी नीतियाँ : हद है बिना कहे रहा नहीं जाता

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►क्या आपको सहज भरोसा नहीं होता? सरकार की ढुलमुल नीतियों और संदेहास्पद हरकतों से ऐसी ही स्थिति मुँह बाएं खड़ी है, जहाँ एक पद की दावेदारी में ही सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को  ₹40,000/- और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी को ₹20,000/- से ज्यादा की चोट पहुँच सकती है। हालाँकि ऐसी पोस्ट अमूमन इस ब्लॉग में लिखता नहीं हूँ .....पर लिखे बिना रहा भी तो नहीं जाता? ...और दृढता से कहूँ कि लिखे बिना रहना भी नहीं चाहिए। ऐसी बेवकूफ प्रकृति की ज्यादतियों के खिलाफ भड़ास तो निकाली ही जानी चाहिए।

►ब्लॉग जगत के साथियों के लिए पहले मामला बताना उचित होगा। दरअसल शिक्षा का बहुचर्चित अधिकार क़ानून लागू होने के बाद से सरकार को उत्तर प्रदेश में अंतिम बार बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति प्रशिक्षु शिक्षकों के रूप में छ: माह के मानदेय पर की जानी थी। छ: माह के बाद यह शिक्षक प्राथमिक स्कूलों के लिए सेवारत प्रशिक्षण पाकर स्थायी नौकरी पाते। अपनी भाषा में कहूँ तो मास्टर बन जाते। यह सारी चयन प्रक्रिया एनसीटीई के दिशा निर्देशों के तहत हुई .....जिसमे राज्य स्तरीय शिक्षक दक्षता परीक्षा (TET)  पास करनी थी। इसी टेट की मेरिट से ही 70,000 से ज्यादा पदों को भरा जाना था।

►तो आखिर हुआ क्या जो ब्लॉग पोस्ट लिखनी पडी...हुआ यह कि सरकार ने जो पद  जनपद वार निकाले उसमे भी खेल हुआ। मेरठ, मथुरा, गाजियाबाद, कानपुर नगर, बलिया, हमारे जनपद फतेहपुर में केवल 12-12 पद हैं तो आगरा, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, हाथरस, वाराणसी में सौ या इससे कम सीटें हैं। इसके उलट सीतापुर, लखीमपुर में छह हजार सीटों पर चयन होना है। इसे मजाक कहें या दुर्भाग्य कि जिस उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटेट) के बाद हमारे जैसे पिछड़े जनपद को लगभग 1900 अध्यापक मिलने चाहिए थे वहां अब सिर्फ एक दर्जन ( कुल जमा 12 ) ही मिलेंगे।

►आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 19 दिसम्बर निर्धारित की गयी थी। आवेदन के साथ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 500 रुपये का ड्राफ्ट व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति के अभ्यर्थियों के लिए 200 रुपये प्रति जनपद खर्च करने थे। प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रदेश के किन्हीं 5 जनपदों में आवेदन करना था। ऐसे में प्रत्येक अभ्यर्थी उस स्थिति में 5-5 ड्राफ्ट बनवा  ₹2,500/- अपनी गाँठ से ढीले कर रहा था।

►भर्ती के आवेदन की अंतिम तिथि 19 दिसंबर थी, जिसकी वजह से ज्यादातर अभ्यर्थियों ने पांच-पांच जिलों से आवेदन कर ही दिए थे कि  हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी विज्ञापन रद कर दिया है। न्यायालय ने विज्ञापन में पांच जिलों से आवेदन करने को असंगत व अतार्किक करार दिया है। याचिका में  चुनौती दी गई थी कि राज्य सरकार द्वारा जारी विज्ञापन बेसिक शिक्षा अधिनियम 1981 के प्रावधानों के विपरीत है। याचिका में मांग की गई थी कि या तो प्रदेशभर से या फिर केवल एक ही जिले से आवेदन करने की अनुमति दी जाए।

याचिका दायर करने वालों की क्या थी आपत्ति?
 ►शिक्षक पात्रता परीक्षा के पास-आउट अभ्यर्थी जिला स्तर पर इसकी मेरिट के आधार पर लगातार विरोध कर रहे थे। अभ्यर्थियों का तर्क था कि केवल पांच जिलो से आवेदन की बाध्यता के कारण जिला स्तर पर मेरिट बनने से किसी जिले की मेरिट बहुत कम व किसी की बहुत ज्यादा चली जाएगी। इससे अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थी चयन से वंचित हो जाएंगे और कम मेरिट वालों को नौकरी मिल जाएगी। यही कारण है कि अभ्यर्थी प्रदेश स्तर पर मेरिट बनाए जाने की मांग कर रहे थे।

►अब कोर्ट के फैसले के बाद प्राथमिक स्तर पर चयन के लिए अब सरकार का हर कदम लाखों अभ्यर्थियों पर भारी पड़ेगा। यदि सरकार ने नियमानुसार केवल गृह जनपद से आवेदन का नियम लागू किया तो तमाम मेरिट वाले छात्र भी बाहर हो जाएंगे। कारण साफ है कि सभी जिलों से आवेदन का कदम और मुश्किल भरा होगा। अभ्यर्थी कहां से भरें कि चयन पक्का हो, इस फेर में ज्यादातर जिलों से भरेंगे। नतीजा होगा कि हर जिले में मेरिट हाई होगी और महीनों काउंसलिंग के बाद सीटें भर सकेंगी। सरकार का अगला कदम क्या होगा, इसी पर लाखों अभ्यर्थियों का कॅरियर टिका है। 

►विज्ञापन को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा रद करने का आदेश देने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने अदालत की मंशा के अनुरूप रवैया अख्तियार किया है। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने कहा कि हम हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। सचिव का कहना है कि यद्यपि अभी उन्होंने अदालत का आदेश नहीं देखा है, लेकिन  यदि कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों को सिर्फ पांच जिलों का विकल्प देने के प्रावधान को अनुचित ठहराया है तो अभ्यर्थी अपनी मर्जी के मुताबिक जितने जिलों में आवेदन करना चाहते हैं, आवेदन कर सकते हैं। जो अभ्यर्थी आवेदन कर चुके हैं, यदि वे चाहें तो अन्य जिलों में भी आवेदन कर सकते हैं।

► यहीं से शुरू होती है पैसा वसूल नीति .......जरा अनुमान लगाइए कि कोई बेरोजगार कैसे इतने जनपदों में इतना रूपया खर्च करके अपना आवेदन भेजेगा? उत्तर प्रदेश के सारे जिलों में आवेदन करने मात्र से ही उस अभ्यर्थी के ₹40,000/- से ज्यादा धनराशि खर्च करनी होगी!


इतनी "माया" की इन बेरोजगारों से उम्मीद?
मैं  तो इन्हें माया नहीं दे सकता हूँ, दे सकता हूँ तो केवल 
शर्म! शर्म! शर्म!
और  आप ?

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15Comments
  1. पिछले दरवाजे से वसूली तो हो ही रही है अब खुले-आम लाइसेंस मिल गया है वसूली का.होना यह चाहिए था कि प्रादेशिक-स्तर पर फॉर्म भरवाए जाते और मामूली शुल्क लेकर जनपदीय वरीयता (केवल पोस्टिंग के लिए ) मांगी जाती.अच्छा हुआ कि न्यायलय ने रोक लगा दी है पर जो लोग पैसे भर चुके हैं वे तो फंस ही चुके !


    अंधे-बहरे लोगों को जगाने के लिए ऐसी जागरूकता ज़रूरी है !

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  2. आश्चर्य है, ऐसी नीति तो कभी नहीं सुनी।

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  3. ऐसी ही बेवकूफियों से भरी है हमारी शिक्षा व्यवस्था !

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  4. यह भी रुपया कमाने का ही तो ज़रिया है॥

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  5. Dear Praveen Bhaiya
    I read your blog about Honorable High court desision and wanted to write a comment at the same place but that was considering members only that is why i am sending it to you by mail.

    Bhai sahab Aap ne nishchay hi ek wajan dar baat ko sabke samne satik dhang se rakha hai.Loot ke is 'MAYA-JAAL' se bahar nikalna bahut mushkil hai wah bhi tab jabki neetiyon ko banane walo ki neetiyan hamesha khud ko 'BANA' lene ki hoti hain.AGAR RAJYA SARKAAR JARA BHI IMADARI SE BEROJGARON KE BAARE ME SONCHTI TO EK SATIK HAL NIKAL SAKTA THA.Mai apni opinion dena chahta hoon aur agar sahi lage to iske prasar me aapka sahyog bhi apekshit hai.....
    TET ki Up level ki merit bana kar candidates se ek form aamantrit kiya jaye aur councelling ke liye pratyek mandal me ek councelling centre bana diya jaye,fir candidates ko unki merit ke anusaar caal ki jaye aur sabhi councelling centre aapas me net ke madhyam se jude ho,merit ke anusaar pratyek candidate se jile ka ek vikalp fill kara diya jaye ,praytek jile ki is prakar bhari seats ke baad matra rikt seats hi bachengi jo online jude sabhi councelling computers par dikhai dengi.Is prakar sabhi 72000+ seats ko bharne se na kewal candidates ka paisa kam kharch hoga balki wo apni chuni hui jagah pahunchenge aur shayad jyada behtar dhang se kaam kar sakenge.

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  6. वजनदार पोस्ट। यही पोस्ट मैं चाहता था। पिछली पोस्ट में इसीलिए वैसा कमेंट किया था। सुंदर ढंग से आपने बात रखी है।

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  7. ...भाई जी ,आपकी पोस्ट को पढकर ऐसा लगा कि सरकारें शायद जनता को लूटने के लिए ही बनती हैं ! कौन समझाए उनको ? जब हम ही सो रहे हैं !

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  8. प्राइमरी का मास्टर प्रवीण त्रिवेदी जी प्रवीण त्रिवेदी जी जी
    क्या एक ही आवेदन में वरीयता क्रम के अनुरूप जिलों का विवरण नहीं मांगा जी सकता ? इससे राज्य सरकार को भी अपेक्षकृत कत आवेदन पत्रों की छंटाई
    करनी होगी और परिणाम उसकी प्रकार वरीयता क्रम के जिलों के अनुरूप निकाला जा सकता है

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  9. क्या हालात हैं!!!

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  10. maya ki maya...kya kahne...kushaasan mein koi kasar nahin chhodni chahiye, chahe shiksha-vyavastha hi kyo na ho.

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  11. Yah to galat hai...achha hua apne iske viruddha likha.


    आप सभी को क्रिसमस की बधाई ...हो सकता है सेंटा उपहार लेकर आपके घर भी पहुँच जाये, सो तैयार रहिएगा !!

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  12. bura haal hai...
    jangrati post..aabhar!

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  13. सामाजिक सरोकार के प्रति आपकी प्रतिबद्धता निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, अच्छा लगा पढ़कर ....ब्लॉग पर ऐसी ही दृढ़ता की जरूरत है .आपका आभार!

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  14. koi bhi sarkar ho, berojgaro se rojgarr dene k naam par unse paisa basoolti hai, phir bhari me koi na koi aisa pench rakh deti hai k bharti ho hi na paye. URDU LANGUAGE PRIMARY TEACHER bharti me pradesh ke alag alag district me G.O. se alag tareeke se B S A apni marjee se chayan kar rahe hai, JIS SE ABHIYARTI COURT JAYE AUR CHAYAN PIRKIRIYA BADHIT HO.

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  15. ये तो सरासर अंधेरगर्दी है।

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