प्रत्येक बच्चे के साथ इस विश्वास के आधार पर काम करे कि

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अब बात करेंगे उन लक्ष्यों की जो हम चाहेंगे गणित शिक्षण से प्राप्त हों | (ध्यान दें - लक्ष्य का निर्धारण लक्ष्य प्राप्ति का पहला कदम है|) इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि बच्चे को -
  • स्कूली गणित का गूढ़ दर्शन समझाने के बजाय कुछ प्रारंभिक तरीके से उनमे गणित के रहस्यों को भरा जाए |
  • बच्चे गणित से भयभीत होने की बजाए उसका आनंद उठाएँ। यह सन्दर्भ विशेष रूप  से लड़कियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है |
  • बच्चे महत्व देकर  गणित सीखें !( गणित में सूत्रों व यांत्रिक प्रक्रियाओं से आगे भी बहुत कुछ है , यह बात बच्चों के दिमाग में जरूर आनी चाहिए )
  • बच्चे गणित को ऐसा विषय मानें जिस पर वे बात कर सकते हैं, जिसमे आपस में वह चर्चा कर सकें ,और उससे भी जरूरी है कि  उस  पर साथ-साथ काम कर सकें ।
  • बच्चे गणित की सामाजिक व सार्थक समस्याएँ उठाएँ और उन्हें हल करने की उद्दत हो सकें|
  • बच्चे अमूर्त का प्रयोग संबंधों को समझने, संरचनाओं को देख पाने और चीजों का विवेचन करने, कथनों की सत्यता या असत्यता को लेकर तर्क करने में कर पाएँ।
  • बच्चे गणित की मूल संरचना को समझें: अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित ,त्रिकोणमिति। स्कूली गणित के सभी मूल तत्व अमूर्त की प्रणाली, संघटन और सामान्यीकरण के लिए पद्धति मुहैया कराते हैं।(मूल रूप से इसका निदान यही है कि बच्चे को समाज के सभी सक्रिय अंगों द्वारा गणित के प्रति भय के  बजाय उत्साह पैदा कराया जाय |)


अध्यापक कक्षा में प्रत्येक बच्चे के साथ इस विश्वास के आधार पर काम करे कि प्रत्येक बच्चा गणित सीख सकता है। समस्या के समाधान की अनेक सामान्य तरीके  स्कूल की विभिन्न अवस्थाओं में सिखाई जा सकती है; बशर्ते उस स्तर का पूर्व ज्ञान उसके पास उपलब्ध हो?
अमूर्तता, परिमाणन, सादृश्यता, स्थिति विश्लेषण, समस्या को सरल रूप में बदलना, अनुमान लगाना व उसकी पुष्टि  करना - ये समस्या समाधान के सभी  सन्दर्भों   में उपयोगी हैं। जब बच्चे ये विभिन्न युक्तियाँ सीख लेते हैं तो उनके संसाधन समृद्ध और समर्थ  हो जाते हैं और वे यह भी सीखते हैं कि कौन सी युक्ति सर्वश्रेष्ठ  है। बच्चों को गणित के अन्वेषणात्मक नियमों से परिचय की भी आवश्यकता होती है न कि प्रत्यक्षीकरण प्रमाण!
(क्रमशः जारी)

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6Comments
  1. गणित की समस्या से बच्चों को उबरने में आपकी सलाह मददगार होगी ...
    शुभकामनायें ...!!

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  2. महत्वपूर्ण व उपयोगी संकेत दिये हैं आपने बच्चों में गणित के प्रति रुचि जागृत करने के लिये ।

    आलेख का आभार ।

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  3. मेरा बेटा भी गणित में कमजोर है और मैं मूर्ख।
    आपके आलेख से प्रेरणा मिली।

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  4. बहुत महत्व का है आपक यह आलेख. आभार. ऐसे ही आलेखों की महती आवश्यक्ता है.

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  5. महत्व पूरणजानकारी है धन्यवाद्

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  6. बहुत सुंदर लिखा आप ने मेरा बेटा ५, ६ मै गणित मै कमजोर था,लेकिन मेने उसे कभी गुस्सा नही किया ओर हमेशा उसे हिम्मत दी , फ़िर उसे पहाडे २५ तक याद दिला दिये, ओर आज वो १२ वी मै है ओर अन्य बच्चो को गणित पढाता है, जब तक बच्चे मै आत्म विशवास नही पेदा होता बच्चा कमजोर ही रहता है, बस बच्चे मै आत्म विशवास पेदा हो जाये.
    आप ने बहुत अच्छा लिखा.धन्यवाद

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