व्यक्ति, जो अनेक प्रकार की भय की भावनाओं से ग्रसित है, चरम मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकता

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वही सच्ची शिक्षा है जो स्वतन्त्रता का मार्ग-दर्शन कराती है। केवल वही उच्च शिक्षा है जो हमें अपने धर्म का संरक्षण करने के लिए समर्थ बनाती है। गुजरात महाविद्यालय ने इसी को आदर्श वाक्य के रूप में स्वीकार किया है। इस विचार ने मुझे बहुत प्रभावित किया है कि............

सच्ची शिक्षा वही है जो स्वतन्त्रता का मार्ग-प्रदर्शन कराती है। अर्थात जो बन्धन-मुक्त करे वही शिक्षा है। बन्धन-मुक्ति दो प्रकार की होती है। बन्धन-मुक्ति का एक रूप तो वह है जो किसी देश को विदेशी शासन में स्वतन्त्रता दिला देता है। इस प्रकार की स्वतन्त्रता क्षणिक हो सकती है। बन्धन-मुक्ति का दूसरा रूप स्थायी और सर्वकालीन होता है मोक्ष, जिसे हम परमधर्म कहते हैं, प्राप्त करने के लिए हमें सांसारिक दृष्टि से भी स्वतंत्र होना चाहिए।
वह व्यक्ति, जो अनेक प्रकार की भय की भावनाओं से ग्रसित है, चरम मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकता। यदि कोई इसे प्राप्त कर ले तो वह मानवीय प्रयत्न के सर्वोच्च शिखर की उपलिब्ध कर लेता है। इनमें से जो मोक्ष जिसके निकटस्थ हो उसे वही पसन्द करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। वह शिक्षा जो हमारी स्वतन्त्रता-प्राप्ति के मार्ग में रोड़े अटकाती है, त्याज्य है, शैतानी है और पापपूर्ण है।

(अंग्रेजीसे अनूदित) अहमदाबाद में विद्यार्थियों की सभा में दिये गये भाषण का अंश,14-11-1920 नवजीवन ;1-8-1920 (सम्पूर्ण गांधी वांग्मय , खण्ड 18, पृ. 480-494)




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5Comments
  1. सुन्दर! शिक्षा, तव सानिद्यात: मुक्ति:! (गँगा तव दर्शनात मुक्ति: की तर्ज पर)।

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  2. बेहद उपयोगी और सुंदर.

    रामराम.

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  3. maasaab ,,jeevan darshan par uchch koti kee charchaa rahi ye to...

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  4. विचार तो सही हैं लेकिन कहने वाला भी भयग्रस्त था

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