गांधी जी के समग्र शैक्षिक विचार (क्रमशः)

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गांधी के विचारों को लेकर हम सबके मन में हमेशा एक द्वंद बना ही रहा है चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक ? जहाँ तक उनके शैक्षिक विचारों की बात की जाए तो सिद्धांत रूप से तो उनकी बड़ी छवि के नीचे उनके सारे विचारों को जस का तस स्वीकार तो कर लिया गया ...पर उनका वास्तविक प्रयोग कहीं नहीं किया गया ।


हमारी प्रणाली में उनके बुनियादी शिक्षा या बेसिक शिक्षा का प्राथमिक स्तर पर नाम के अनुरूप तो समझ आता है की उनकी शैक्षिक प्रणाली ही प्रयोग हो रही है ।वास्तव में जहाँ तक गांधी जी के विचारों को आत्मसात कर पाया हूँ .......यही कहूँगा की वास्तव में गांधी जी हम सबसे कहीं ज्यादा प्रगतिशील थे ......और शायद वह आज जीवित होते तो अपनी शैक्षिक प्रणाली में स्वयं समयानुरूप आमूल -चूल परिवर्तन कर चुके होते ।

पर अफ़सोस हम अभी भी उनके नाम को सम्मान देने के नाम पर किसी परिवर्तन को स्वीकार करने से पीछे हट रहे हैं ।
इसी कड़ी के तहत चिट्ठे पर गांधी जी के समग्र शैक्षिक विचारों को क्रमशः प्रकाशित किया जायेगा ......... जाहिर है कि मूल रूप से मेरा श्रेय केवल प्रस्तुत करने से ही है आपके और अपने विचारों को भी इसी कड़ी में जोड़कर पुनर्प्रकाशित करने का भी विचार है ........ आपका क्या विचार है ?

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8Comments
  1. हम तो आपकी प्रस्तुति का लाभ उठाते रहेंगे. गाँधी जी के भक्त हैं. शुभकामनाऐं.

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  2. और हम चाहते हैं कि आप अपने विचारों को हमारे साथ जोड़ते चलें .

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  3. bahut hi achhee avdharna hai ...gandhi ji ki...

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  4. बहुत अच्छा!
    असल में गांधी जी के बारे में पढ़ सोच कर एक बात सामने आती है कि आप अपने मूल असूलों पर जमें और प्रयोगों के लिये तैयार रहें।

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  5. क्या कहा जाय...संभवतः यह हमारे स्वभाव में ही है कि किसी भी महान व्यक्ति को फूल पत्र चढा उसकी मूर्ती पूजा तो कर सकते हैं,पर उसके विचारों को ग्रहण और अनुकरण नहीं कर पाते..

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  6. आपका यह बहुत सूंदर विचार है, हम प्रतिक्षा रत रहेंगे.

    रामराम.

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  7. Himanshu Kumar Pandey commented...

    गांधी जी के समग्र शैक्षिक विचारों की प्रस्तुति निश्चय ही अच्छा होगा चिट्ठाजगत के लिये । धन्यवाद ।:

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  8. Pratibimba Barthwal commented ....

    प्रवीण जी!! गांधी जी या किसी भी व्यक्ति के विचार शिक्षा के छेत्र के उत्थान में सराहनीय में है लेकिन केवल विचारो की समीक्षा कर देने से हमारी जिम्मेदारी ख़तम नहीं हो जाती. इसे दृढ़ता से लागू करने की हिम्मत करनी होगी यदि बुद्धिजीवी समाज इसे सही कदम मानता है तो. सर्वप्रथम गाँवों की शिक्षा में सही कदम की आवश्यकता है/

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