पाठ्यक्रम बदले बिना मूल्यांकन में बदलाव आधा-अधूरा प्रयास

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( यह पोस्ट कई शिक्षकों के मध्य हुई चर्चा का सार है )

यूपी बोर्ड की परीक्षायें सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर कराने व मूल्यांकन पद्धति में भी स्टेप के आधार पर नंबर देने की व्यवस्था को काफी हद तक शिक्षक व छात्र सराह रहे हैं। योग्यता के बाद भी मेरिट में पिछड़ जाने का दंश लिये बोर्ड परीक्षार्थी कहते हैं कि यह हो जाये तो हम तो सभी को पछाड़ देने की कूबत रखते हैं। हालांकि कुछ शिक्षकों का यह भी मानना है कि पाठ्यक्रम बदले बिना मूल्यांकन में बदलाव आधा-अधूरा प्रयास रहेगा इससे मेधावी छात्रों को नुकसान भी हो सकता है।

मालूम रहे कि हाल ही में यूपी के शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्रा ने यूपी बोर्ड के परीक्षार्थी सीबीएसई बोर्ड से मेरिट में पीछे न रहें इस पर मंशा जाहिर करते हुए परीक्षा व मूल्यांकन पद्धति में बदलाव के संकेत दिये हैं। ऐसे में जब बोर्ड परीक्षाओं के मात्र डेढ़ माह शेष रह गये हैं छात्र-छात्राओं व शिक्षकों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। शिक्षकों का मानना है कि दोहरी परीक्षा प्रणाली का दंश भी छात्र-छात्राओं को झेलना पड़ सकता है। इस तरह के प्रयास सत्र के शुरुआत में ही करने चाहिए मध्य सत्र में जब परीक्षार्थी परीक्षा की तैयारी लगभग पूरी कर ली है ऐसे में समय में बदलाव की बात कहकर भ्रम की स्थिति भी बन सकती है। कई शिक्षक बेबाक कहते हैं कि निश्चित तौर पर यह बदलाव छात्र-छात्राओं के लिये फायदेमंद रहेगा। स्टेप से मूल्यांकन होने पर परीक्षा में नंबर भी अच्छे मिलेंगे, मेरिट में सीबीएसई की बराबरी मिलने पर छात्रों में उत्साह भी रहेगा। उन्होंने कहा कि पुराने छात्रों को जरूर कुछ नुकसान हो सकता है, लेकिन नये छात्रों के लिये तो यह हितकर रहेगा।

जबकि कई शिक्षक कहते हैं कि, जितना सवाल सही है उतने नंबर देने की व्यवस्था तो पहले से ही थी। इसमें नया कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सीबीएसई बोर्ड का तर्ज लागू ही करना है तो पहले पाठ्यक्रम बदला जाये तभी बोर्ड परीक्षार्थियों का भला होगा। जो कोर्स बदला गया है वह तो पहले से भी खराब हो गया है उसमें बदलाव जरूरी है। कई शिक्षकों का मानना है कि स्टेप के आधार पर बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन निश्चित तौर पर बच्चों के लिये फायदेमंद होगा। उन्होंने कहाकि योग्यता होने के बाद भी बोर्ड परीक्षार्थी सीबीएसई छात्रों की मेरिट के सामने कमजोर पड़ जाते थे। इस व्यवस्था से यह स्थिति नहीं आयेगी। मतलब यह की पहले पाठ्यक्रम बदला जाये फिर मूल्यांकन पद्धति। उन्होंने कहा कि यूपी बोर्ड सीबीएसई से कहीं बेहतर है। कठिन मेहनत के बाद यूपी बोर्ड के ही ज्यादातर परीक्षार्थी आईएएस व पीसीएस बनते हैं। सीबीएसई बोर्ड की अधिक मेरिट का ग्लैमर छात्र-छात्राओं पर छाता जा रहा है। यूपी बोर्ड को मुकाबले पर बने रहने के लिये परिवर्तन करना जरूरी है, लेकिन पाठ्यक्रम बदलने के पहले शिक्षाविदों की सलाह ली जाये। बदलाव तो जरूरी है मूल्यांकन की नई व्यवस्था से छात्र-छात्राओं को अच्छे अंक मिलेंगे। पहले तो गलत उत्तर मिलने पर सवाल ही काट दिया जाता था अब जितनी मेहनत किया है उतने तो नंबर मिलने ही होंगे।

हाईस्कूल, इण्टर के इस वर्ष की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे तीस हजार से अधिक परीक्षार्थियों में मूल्यांकन की नई पद्धति को लेकर उल्लास है। उनका कहना है कि सीबीएसई बोर्ड की तरह यदि हल सवाल पर नंबर नहीं दिये गये तो कारण भी स्पष्ट किया जाये और वह परीक्षार्थियों को दिखाया भी जाये।

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12Comments
  1. बहुत सुंदर और सारगर्भित विचार ...!

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  2. शिक्षा व्यवस्था में इस प्रकार की टिंकरिंग कर शिक्षाविद बनने और दीखने का भ्रम बहुत से पाले बैठे हैं। और यह सकारात्मक प्रभाव नहीं डालता।

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  3. प्रवीण जी मैं बहुत सारे ब्लॉग पढ़ता हूँ लेकिन ये अलग बात है कि सम्मान कुछ के प्रति ही बन पाया है इनमे से एक आपका ब्लॉग है इसका कारण बहुत ही साफ़ सुथरा सा है आपका ब्लॉग एक दृष्टि और लक्ष्य से प्रेरित है। आप शिक्षाविद है या नहीं इस पर प्रश्न करने से बेहतर है कि ये सोचिये एक शिक्षक का समाज को इससे बड़ा योगदान क्या हो सकता है कि वह अपने कार्य के प्रति बेहद अनुशासित और मुखर है। आपने नया ब्लॉग आरम्भ किया तो लगा कि कहीं प्राईमरी का मास्टर भी टिप्पणियों के मोह पाश में बंध न गया हो? आज आशंका निर्मूल सिद्ध हुयी जब आपकी नवीनतम पोस्ट देखी। आपने अपनी बिटिया के नामकरण हेतु मित्रों से नाम सुझाने का आग्रह किया तब मुझे और भी अच्छा लगा कि आपने अपने ब्लॉग में स्नेह और अधिकार का रस भी घोल दिया। मैं टिपण्णी ना भी दूँ तो आप ये अवश्य मान लें कि मैंने आपकी पोस्ट को दो बार जरूर पढ़ा है। शिक्षा पर विचारों का ये सफर बहुत ही पथरीली राह का सदैव बना रहेगा, एक हास्य भरा सुझाव है "अगर टिप्पणिया चाहिए तो सभी ब्लोगर मित्र एक नया ब्लॉग बनाए जिसमे कहीं से चाहे ना दीखने वाला हो पर स्त्री का चित्र लगा कर कविता के नाम पर आह-आह लिख दो , आपकी पहली ही पोस्ट पर इस कविता के समर्थन में वाह वाह वाह का उदघोष पचासों स्वरों में सुनाई पड़ेगा." प्राईमरी का मास्टर दीर्घायु हो।

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  4. प्रवीण जी, यह शिक्षा मन्त्री क्या इतने ग्याणी होते है, जो घर बेठे ही नये से नये कानून बना कर बच्चो के भाविष्य से खेलते रहते है, क्यो मही यह काम कुछ विशेष्ग्यओ के लिये छोड देते, आप की बात से सहमत हूं
    धन्यवाद

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  5. pahle syllabus mein badlaav lana chaheeye..phir -marking scheme mein change lana chaheeye tha.

    UP Board mein ab waise bhi syllabus sanshodhan ki jarurat hai.

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  6. आज तो मैं पढते-पढते तनिक उलझ गया। इसलिए पोस्‍ट से अलग हट कर कह रहा हूं। दो बातों पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए-
    1. अदलाव जो भी हो, सत्रारम्‍भ से ही हो।
    2. पाठ्यक्रम में बदलाव की दिशा भले ही सरकार
    बताए किन्‍तु पुस्‍तकों की विष्‍य वस्‍तु का निर्धारण
    शिक्षाविदों के जिम्‍मे किया जाए।

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  7. देश भर में परिक्षा के मिलते-जुलते नियम बनाना एक अच्छी शुरूआत है.

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  8. आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!

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  9. Praveen ji,
    Ye sahee hai ki pareeksha pranalee,moolyankan paddhati sabhee kuchh badalna chahiye.lekin ye sare badlav prathmik shiksha ke star se hee hone chahiye.ham jab tak prathamik star par shiksha,pathyakram,teaching language,kee ekroopta poore desh men naheen layenge tab tak..u .p.,icsc,cbse ka antar to bana hee rahega.
    Hemant Kumar

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  10. bahut achchha lagaa kyonki main bhi fatehpur men rah chuka hoon aur vahin se b.ed karke delhi me teacher hoon.phir kabhi lambi baat hogi.
    chanchalbaiswari.blogspot.com

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  11. अच्छी पोस्ट है। अच्छे विचार दिए है।

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