अरे मुझको मत मारो !!!

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  1. अगर हर घंटे यह न चीखे तो बच्चे रो रो कर चीखने लगेगे .

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  2. बच्चों को मारना एक सरल तरीका है अध्यापक के पास कक्षा मैनेज करने का। पर यह तरीका पढ़ाने का नहीं हो सकता।
    हां घण्टे को बजाना तो दूसरी बात है।

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  3. वाह आपने एक बात से दो बातें कह दी.

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  4. इसे न मारा जाए तो बच्‍चे मर जाएं ।

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  5. क्या बात है!!
    अब बिना मारे काम भी तो नही चल सकता।

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  6. कुछेक संदर्भ ऎसे ही होते हैं, मित्र !
    मार खा कर दूसरों को जगाते रहने को श्रापित..
    अपने घाव ढक कर जग को जिलाने वाले..
    दार्शनिक नज़रिये से एक सुंदर प्रस्तुति !

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  7. मारपीट कोई रास्ता नही है बच्चॊं को लाइन पर लाने का !

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  8. वाह ! बहुत सूक्ष्म दृष्टि के मास्टर हो प्रवीण भाई.

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  9. इस घंटे को मारना तो बच्चों की खुशी है !

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  10. हाSSSSS
    माट साब,
    आज आपने अपनी असली फोटू भी दिखा दी :)

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  11. हा हा हा हा हा हा हा हा !!!!!!!

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  12. mere blog per aapka comment padha... dhanyawaad... fir abhi aapke blog per ye tasveer dekhi... teen shabd ek puri ki puri vyavastha ki khami ko ujaagar karne wale hain

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  13. इस घंटे ने पुरानी याद दिला दी ! स्कूल में होम वर्क न करने के कारण डरा हुआ था ! मैं "नंबर एक" का बहाना करके बाहर गया और घंटा बजा दिया ! लेकिन भेद खुल गया और मेरे उस साहसिक कारनामे के लिए बहुत मार पड़ी थी ! तब से मुझे सबक मिल गया कि कोई भी ग़लत काम करते हुए अत्यन्त सावधानी बरतनी चाहिए !

    दो टाईम के घंटे हम लड़कों को बहुत प्रिय थे ! एक - इंटरवल का और दूसरा छुट्टी का ! मैथ के पीरियड में तो मेरे कान घंटे की आवाज सुनने को बेचैन रहते थे !

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  14. वाह हम ने तो कुछ ओर सोचा था... बहुत अच्छा लगा.
    धन्यवाद

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  15. सर्वश्रेष्‍ठ माइक्रोपोस्‍ट।

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  16. sir apke school me admission milega. guru ji badhai ho apko..

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  17. आपका काम बहुत अच्छा है !मेरा ब्लॉग __http://tillanrichhariya.blogspot.com/.अवलोकन करें...

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  18. bin bole bhi kah gayee bahut kuchh yah tasweer

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