गणित में उत्तर-प्रदेश के बच्चे पिछड़े, छठवां स्थान

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दशमलव और माप की गुत्थी छात्रों का गणित बिगाड़ रही है। फार्मूलों को सुलझाने में बच्चे ऐसे उलझते हैं कि फिर इसमें पिछड़ते ही चले जाते हैं। ऐसा नहीं कि बच्चे गणित को कर नहीं पा रहे हैं। मौलिक सवाल, औसत, साधारण ब्याज व लाभ-हानि में बढि़या प्रदर्शन करने वाले छात्र भी भिन्न-दशमलव और माप में गड़बड़ा जाते हैं।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि पर्यावरण अध्ययन और भाषा में बेहतर प्रदर्शन कर देश में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले प्रदेश के बच्चे गणित में गड़बड़ा गये। अंक गवां कर जहां सातवें स्थान पर रह गये। वहीं तीनों विषयों के प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश छठवें स्थान पर रहा।

एनसीईआरटी ने पांचवीं के बच्चों का गणित, पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) और भाषाई ज्ञान का स्तर जांचने के लिये सर्वे कराया। इस सर्वे में 33 राज्य और संघ शासित प्रदेशों के 266 जिलों के 6828 स्कूलों के 14810 शिक्षकों के साथ 84,322 बच्चों को शामिल किया गया। जिसमें 42, 419 छात्र व 41, 903 छात्राएं थीं।

उत्तर प्रदेश के जिन जिलों को इसमें शामिल किया गया उसमें मुरादाबाद, बुलंदशहर, औरैया, एटा, उन्नाव, सीतापुर, फतेहपुर, चित्रकूट, वाराणसी, जौनपुर, बलिया, संत कबीर नगर और गोरखपुर शामिल थे। सर्वे में प्रदेश के बच्चों ने 60 से 70 प्रतिशत अंक प्राप्त कर भाषा में दूसरा स्थान प्राप्त किया। पर्यावरण अध्ययन में भी प्रदेश 50-60 प्रतिशत अंक प्राप्त कर उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। लेकिन गणित ने रैंकिंग का गणित बिगाड़ दिया। यहां कुलमिलाकर प्रस्तुतिकरण तो 50 से 60 प्रतिशत ही रहा, लेकिन दशमलव व भिन्न में 42.84 प्रतिशत अंक के साथ बच्चे पिछड़ गये।
इस सर्वे में प्रदेश की ओवरआल रेटिंग छठी रही। इस सर्वे में सबसे ज्यादा अंक लाकर पश्चिम बंगाल जहां पहले, कर्नाटक दूसरे और गुजरात तीसरे नंबर पर आया। वहीं झारखंड और त्रिपुरा क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर रहे हैं।

(समाचार स्त्रोत - दैनिक अमर उजाला)

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