पानी पीने को तरसते बच्चे और अध्यापक

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यह समाचार पढ़कर कि प्रदेश के तकरीबन ढाई हजार बुनियादी स्कूलों में पेयजल सुविधा नहीं है , मेरे लिए बहुत बड़े अचरज की बात नहीं है। स्कूलों में पेयजल के समुचि बंदोबस्त नहीं होने की वजह से बच्चों शिक्षकों की परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। चिंताजनक यह भी है कि इन स्कूलों में मिड डे मील योजना संचालित करने में भी परेशानी पेश आना तय है। भोजन पकाने, बर्तन धोने, बच्चों को खाना खाने से पहले और बाद में साफ-सफाई के लिए पर्याप्ता मात्रा में पानी चाहिए।

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद राज्य स्कूलों में पेयजल पहुंचाने को लेकर गंभीर नजर रहा है। शासन स्तर पर उच्चस्तरीय बैठक में इस बाबत रणनीति तय की गई है और पेयजल व्यवस्था से जुड़ी संस्थाओं को स्कूलवार योजना तैयार करने के निर्दे दिए गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इन निर्देशों पर ईमानदारी और मिशनरी भावना से अमल किया जाएगा।

दरअसल, माना यह जाता है कि जिन स्कूलों में पेयजल सुविधा नहीं हैं, उनमें अधिकतर दूरदराज और दुर्गम स्थानों पर हैं। वहां पानी पहुंचाने में तमाम दिक्कतें आड़े सकती हैं।पर पानी के मामले ज्यादा अन्तर नहीं है मैदानी शहर के नजदीक स्कूल भी पानी के लिए तरसते देखे जा सकते है लिहाजा, स्कूलवार बनने वाली योजनाओं में स्थानीय ग्रामीणों की भूमिका भी प्रभावी होनी चाहिए। सरकार का यह फैसला सराहनीय है कि स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रबंध भी किए जाएं। यह व्यवस्था काफी समय पहले से ही सुनिश्चित की जानी चाहिए थी। लेकिन, देर आयद, दुरुस्त आयद की तर्ज पर विलंब से इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का स्वागत किया जाना चाहिए।

राज्य ने निर्माणाधीन और नए प्रस्तावित स्कूल भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य तौर पर लागू करने के निर्देश ग्राम शिक्षा समितियों को भी जारी कर दिए हैं। हालांकि, बीते दो वर्षों की योजना में शामिल इन स्कूलों की संख्या बिल्कुल शून्य है। इसके बावजूद यह कदम आगे जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। वैसे सरकार ने अब हर महकमे को ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग बंदोबस्त करने को कहा है। स्कूलों में इस योजना को लागू किए जाने से छात्र-छात्राओं को भी इसकी अहमियत का पता चलेगा। इससे निरंतर गहरा रहे पेयजल संकट को लेकर देश के नौनिहाल कर्णधार समय रहते जागरूक हो सकेंगे। साथ ही स्कूलों में मिड डे मील योजना के लिए पानी की जरूरत भी इससे पूरी हो सकेगी।

आशा की जानी चाहिए कि मास्टर और बच्चे भी पानी के लिए तरसते नहीं रहेंगे ...........

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6Comments
  1. पानी की किस को फिक्र लगी है? स्कूल खुले हैं यही क्या कम है?
    दीपावली पर हार्दिक अभिनन्दन!

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  2. जिनका यह काम है वह तो आरक्षण दिलवाने में लगे हैं. बिना पानी के मर नहीं जायेंगे, पर बिना आरक्षण के मरना निश्चित है.

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  3. अफसोस होता है...

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  4. सरकारी स्कूली व्यवस्था पूरी चरमराई लगती है। और शायद स्कूली अध्यापकों की कार्यकुशलता भी उसी हताशा के चलते लगभग शून्य हो गयी है। दोनो के लिये कार्य करना जरूरी है।

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  5. इस व्यवस्था को क्या कहे सर जी जानकर दुःख होता है जो अपने बच्चो को पानी भी नही पिला सकता है वो बच्चो का भविष्य कैसे उज्जवल करेगा. दिवाली की हार्दिक शुभकामना .

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  6. आप सभी को दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई!!!!!!


    प्रवीण त्रिवेदी "प्राइमरी का मास्टर" / PRAVEEN TRIVEDI
    प्राइमरी का मास्टर http://primarykamaster.blogspot.com
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    भारतीय शिक्षा-Indian Education http://indianshiksha.blogspot.com

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