मनमानी फीस पर स्कूलों को देना पड़ सकता है टैक्स!

4
अनाप-शनाप फीस वसूलने वाले स्कूलों-कालेजों को व्यावसायिक आधार पर सामान्य कर देना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, उन पर जल कर सीवरेज कर का भार भी लादा जा सकता है। यदि इन करों से बचना है तो ऐसे स्कूल-कालेजों को सरकारी स्कूलों के बराबर फीस रखनी होगी।गौरतलब है कि अभी ऐसे भवन जो सहायतित या गैर सहायतित स्कूल अथवा इंटरमीडिएट कालेजों के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं वे पूरी तरह से सामान्य कर से मुक्त हैं।
प्राप्त जानकारी
के अनुसार तृतीय राज्य वित्त आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में साफ कहा है कि फिलहाल नगर पंचायतों को छोड़कर नगर पालिका परिषदों तथा नगर निगम क्षेत्र के ऐसे सभी सरकारी स्कूल-कालेज राज्य सरकार से मान्यताप्राप्त एवं सहायतित गैर सरकारी स्कूल-कालेज, जिनके द्वारा वसूली जा रही फीस सरकारी स्कूलों की फीस के समान या फिर उससे अधिकतम 10 फीसदी ज्यादा हो, उन्हें ही सामान्य कर से छूट दी जा सकती है।
छूट के लिए भी यह भी शर्त रखी गई है कि स्कूल भवन का उपयोग शिक्षण कार्य के लिए तथा स्कूल से जुड़े खेल के मैदान का उपयोग शारीरिक प्रशिक्षण आदि में ही किया जाना चाहिए। अनाप-शनाप फीस वसूलने वाले तथा स्कूल भवन खेल मैदान का व्यावसायिक इस्तेमाल करने वाले स्कूल-कालेजों के भवन पर आयोग ने केवल व्यावसायिक आधार पर सामान्य कर लगाने की सिफारिश की है बल्कि उन पर जल कर तथा सीवरेज कर भी लगाने को कहा है। आयोग की इस सिफारिश पर नगर विकास विभाग ने सहमति जता दी है। उल्लेखनीय है कि इस तरह की सिफारिश लागू करने का अंतिम निर्णय कैबिनेट ही करेगी।

(साभार -समाचार स्त्रोत : अमर उजाला )

Post a Comment

4Comments
  1. शिक्षा को भी कर्मिशयल कर दिया गया है। स्कूल का मैदान यदि कर्मशियल उद्देश्य से दिया गया है तो टैक्स क्यों इस पर सज़ा होनी चाहिए। ज्यादा फीस वसूलने पर भी टैक्स की जगह फीस को नियंत्रित करने का फैसला हो तो बेहतर है।

    ReplyDelete
  2. टैक्स की जगह फीस को नियंत्रित करने का फैसला हो तो बेहतर है
    धन्यवाद..

    ReplyDelete
  3. जो ज्यादा फीस वसूलना जानते हैं वे ज्यादा टैक्स की काट भी जानते हैं। टैक्स के बोझ से किसको मरते देखा है - सिवाय मध्यवर्ग के!:)

    ReplyDelete
  4. स्कूल पूरी तरह व्यवसायिक हो चुकें हैं। उन पर टैक्स वाजिब है और फीस नियंत्रण भी जरूरी है।

    ReplyDelete
Post a Comment