Home सदविचार ...............उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। ...............उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। Author - personप्रवीण त्रिवेदी Friday, October 03, 20080 minute read 0 share पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। जयशंकर प्रसाद Tags जलपाषाणमदिरासदविचार Facebook Twitter Whatsapp Newerआँख के अंधे को..... Older