एक एतिहासिक पत्र शिक्षक के नाम

10
यह पत्र अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक के नाम लिखा गया था। आज भी यह पत्र अपनी प्रासिंगकता बनाये हुए है ।

हे
शिक्षक!
मैं जानता हूँ कि
उसे सीखना है यह
पत्र
लोग न्यायप्रिय नहीं होते
सभी
लोग सच्चे नहीं होते
किंतु
उसे यह भी सिखाएं कि
जहाँ
एक बदमाश होता है
वहां
एक नायक भी होता है
यह
कि हर स्वार्थी नेता के जवाब में
एक
समर्पित नेता भी होता है
उसे
बताइए कि जहाँ एक दुश्मन होता है
वहां एक दोस्त भी होता है
अगर
आप कर सकते हैं तो उसे ईर्ष्या से बाहर निकालें
उसे
खामोश हसीं का रहस्य बताएं
उसे
जल्दी यह सीखने दें कि
गुंडई
करने वाले बहुत जल्दी चरण स्पर्श करते हैं
अगर
पढ़ा सकें तो उसे
किताबों
के आश्चर्य के बारे में पढाएं
लेकिन
उसे इतना समय भी दें कि
वह आसमान में उड़ती चिडिया के
धूप में उड़ती मधुमक्खियों के
और
हरे पर्वतों पर खिले फूलों के
शाश्वत रहस्यों के बारे में सोच सकें
उसे स्कूल में यह भी सिखाएं कि
नक़ल करने से ज्यादा
सम्मान
जनक फ़ेल हो जाना है
उसे
अपने विचारों में विश्वास करना सिखाएं
तब भी जब सब उसे ग़लत बताएं
उसे विनम्र लोगों से विनम्र रहना
और कठोर व्यक्ति से कठोर व्यवहार करना सिखाएं
मेरे बेटे को ऐसी ताकत दें कि
वह उस भीड़ का हिस्सा बने
जहाँ
हर कोई खेमे में शामिल होने में लगा है
उसे सिखाएं कि वह सब की सुने
लेकिन उसे यह भी बताएं कि
वह जो कुछ भी सुने उसे सच्चाई की छन्नी पर छाने
और
उसके बाद जो अच्छी चीज बचे उसे ही ग्रहण करें
अगर आप सिखा सकतें हैं
तो
उसे सिखाएं कि
जब वह दुखी हो तो कैसे हसें
उसे
सिखाएं कि
आंसू आना शर्म की बात नहीं
उसे
सिखाएं कि निंदकों का कैसे मजाक उडाया जाए
और
ज्यादा मिठास से कैसे सावधान रहा जाए
उसे सिखाएं कि
अपनी बल और बुद्धि को उचें से उचें दम पर बेचें
लेकिन अपनी ह्रदय और आत्मा को किसी कीमत पर बेचें
उसे सिखाएं कि
एक चीखती भीड़ के आगे अपने कान बंद कर लें
और अगर वह अपने को सही समझता है
तो
उठ कर लड़े
उससे
विनम्रता से पेश आयें
पर
छाती से लगाए रखें
क्योंकि आग में ही तप कर लोहा मजबूत बनता है
उसमे
साहस आने दें
उसे
अधीर बनने दें
उसमे
बहादुर बनने का धैर्य आने दें
उसे
सिखाएं कि
वह
अपने में गहरा विश्वास रखे
क्योंकि तभी वह मानव जाति में गहरा विश्वास रखेगा
यह
एक बड़ी फरमाइश है
पर
देखिये आप क्या कर सकतें हैंक्योंकि
यह
छोटा बच्चा मेरा बेटा है !

Post a Comment

10Comments
  1. यह पत्र तो बारम्बार पढ़ चुका हूं। और हर बार प्रेरक लगता है।
    प्रस्तुति के लिये धन्यवाद।

    ReplyDelete
  2. यह पत्र पहले भी पढ़ा है। एक सुन्दर दिशा निर्देश है अध्यापकों के लिए विद्यार्थी के बारे में। प्रत्येक अध्यापक के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा निर्देश।

    ReplyDelete
  3. पहली बार पढ़ा है
    पर अच्‍छा बहुत लगा है
    इसे कई बार पढूंगा
    सिर्फ पढूंगा ही नहीं
    गुनूंगा भी और गुनने के लिए
    बार बार पढ़ना जरूरी हो जाता है।

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छा पत्र लगा, शेयर करने के लिये धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. पहली बार पढा यह पत्र पर इतना अच्छा लगा कि बार बार पढने को जी चाहता है । धन्यवाद .

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया लगा था यह पत्र ..जब जब इसको पढ़ा है ..कुछ न कुछ नया सीखा गया है ...शुक्रिया एक फ़िर से पढ़वाने का

    ReplyDelete
  7. वाहवा
    बढ़िया पत्र
    मैंने तो पहली बार पढ़ा
    कायल हुआ
    आपको बधाई

    ReplyDelete
  8. इस ऐतिहासिक पत्र को प्रस्तुत करने का धन्यवाद ! वैसे प्रेरक प्रसंगों की कमी तो नहीं रहती है .पर यह पत्र शायद अपना काम अच्छे तरीके से नहीं कर पाया क्योंकि अब्राहम लिंकन का बेटा बहुत प्रसिद्ध हुआ हो ऐसा मैंने नहीं सुना .

    ReplyDelete
  9. is patra ke liye sadhuvad.YEH EK AITIHASIK DASTAVEJ HAI.

    ReplyDelete
  10. is patra se meri bahut saari yaade judi hui hai....❤️ aaj phir se is patra ko pDkr dil khush hogya ..... vo beete din yaad aagye ,jab saalo pehle hum school corridor mein is patra ki panktiyo ko gungunaate the....🤗✌️❤️

    ReplyDelete
Post a Comment