अब गुरु जी के माथे डाक्टरी भी....

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चौकिये नहीं!
यह बात सोलह आने सच है की यदि आप का लाडला व लाडली सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहे हैं और उन्हें आँख का दोष है तो इधर उधर भाग कर डाक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं है। गुरु जी ही आपके लाडले की जांच करेंगे । प्राइमरी व जूनियर के शिक्षकों की नेत्र जांच के लिए ट्रेंड करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है । पढाने की मूल जिम्मेदारी के साथ-साथ गुरु जी स्कूल में ही आँख का अस्पताल खोलेंगे और जांच कर के चश्मा भी लगवाएंगे।

राष्ट्रीय अन्धता निवारण कार्यक्रम के तहत प्रमुख सचि ने ऐसा ही एक फरमान जारी किया है । आदेश के अनुसार प्राथमिक व जूनियर स्कूलों के 8 से 14 वर्षा के बच्चों की आंखों का परीक्षण किया जाएगा । प्रमुख सचिव ने माना है कि स्कूल स्तर पर अध्यापकों द्वारा छात्रों के आंखों का परीक्षण यदि करवाया जाएगा तो इस योजना को अधिक गति मिलेगी ।

आदेश में कहा गया है की सभी स्कूलों के एक-एक शिक्षकों को नेत्र सर्जन व नेत्र सहायकों द्वारा आँख के परीक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जाए । प्रशिक्षण के पश्चात शिक्षक स्कूल में ही बच्चों के आंखों का परीक्षण करेंगे । आँख के दोष वाले बच्चों की जांच स्थानीय CHC व PHC में कराने के बाद आँख में निशुल्क चश्मे भी लगवाये जायेंगे ।

जाहिर है यह प्रयास क्यों?
क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान व उसके पूर्व जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के पिछले सारे अभियान बुरी तरह फ़ेल हो चुके हैं । आंकडें चाहे जो कहें लेकिन 10 वर्षों में जंहा मैं रहा , आज तक बच्चों का कोई स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हुआ। चलिए अब मास्टरों के समाज सुधार , होटल सञ्चालन के बाद डॉक्टरी भी सर माथे !

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3Comments
  1. उत्तरोत्तर विविध काम करने को कहा जा रहा है अध्यापक को। तय है कि यह सब और अध्यापन नहीं हो सकता।
    पता नहीं इसके पीछे क्या है - प्रशासन का विभिन्न कार्यों के आंकड़े सही करना ध्येय है या यह वास्तव में सोचा जाता है कि यह सब दक्षता से हो सकता है।:(

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  2. मैं इस में बुराई नहीं देखता यह वैसे ही है जैसे अभिभावकों को उन के संरक्षितों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाए। फिर अन्य सरकारी अभियानों से तो यह उत्तम है। किसी विद्यार्थी को आंखों की सुरक्षा की सीख सब से पहले अध्यापक से ही मिलती है।

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  3. बडी आफत है भाई, पहले पोलियो अभियान, अब ये सब...लेकिन ये तो फिर भी कम है कभी private sector मे देखियेगा, वहाँ भले यह सब न करना पडता हो पर Working hours and work profile देखकर आप को शायद यह जाँच-फाँच करना आसान लगे :)

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