जब गाँधी हुए फ़ेल ....

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महात्मा गाँधी को लेकर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। वर्तमान पीढ़ी, जिन्होंने उन्हें देखा नहीं है, वे सोचते होंगे कि वह कोई असाधारण या अलौकिक व्यक्ति था जिसने बड़ेबड़े काम किये और हमें आजादी दिलाई। नि:संदेह वह एक असाधारण व्यक्तित्व के मालिक थे। गाँधी जी राजनैतिक कार्यों के साथसाथ जीवन में हर छोटे से छोटे कार्य को खुशी से करते थे चाहे वह कार्य कपड़े धोने का या सिलने का हो, सफाई करने का हो, खाना बनाने या परोसने का हो, कपड़ा बुनने या सूत कातने का हो, पढ़ाने का हो, लिखने का हो अथवा कोर्टकचहरी में जिरह करने का हो। छोटे छोटे छोटे उदाहरणों के जरिये हम उनके शिक्षक रूप से रूबरू होते हैं।

गाँधी जी की पहली छात्रा कस्तूरबा थीं। गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में हुआ था, जब वह स्कूल में पढ़ते थे, किंतु उनकी पत्नी निरक्षर थीं। गाँधी जी ने कस्तूरबा को रात को एकांत में पढ़ाना चाहा क्योंकि उस ज़माने में पुरानेचाल के घरों में सबके सामने पत्नी से बोलने का रिवाज नहीं था। किंतु तब कस्तूरबा की रुचि लिखनेपढ़ने में तनिक भी नहीं थी। अत: शिक्षक बनने का गाँधी जी का यह प्रयत्न सफल हो सका।फ़िर 73 वर्ष की उम्र में कैद के समय गाँधी जी को कुछ अवकाश मिला और उन्होंने कस्तूरबा को फ़िर पढ़ाना आरंभ किया। बा के पढ़नेके लिए उन्होंने रामायण और महाभारत के कुछ भागों का संकलन किया और उन्हें गुजरात साहित्य, व्याकरण और भूगोल पढ़ाना शुरु किया। किंतु बीमारी और बुढ़ौती की मारी बा कुछ विशेष प्रगति कर सकीं।

विलायत
से बैरिस्टर होकर लौट आने के बाद गाँधी जी पर अपने परिवार के बालकों को व्यायाम और साहबी ढंग का रहनसहन सिखाने की सनक सवार हो गई थी। बच्चे उनकी ओर अनायास ही आकृष्ट हो जाते हैं, यह देखकर उनकी यह धारणा बन गई थी कि मैं बहुत अच्छा शिक्षक हो सकता हूँ।


(क्रमशः जारी.....)

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4Comments
  1. gandhi ji ke baare mai jaankaari dene liye sadhuwaad

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  2. gandhji bahut prernadayak vyaktitav they

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  3. गाँधी जयंति की बहुत-बहुत बधाई।

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  4. गाँधी जी निस्संदेह एक असाधारण व्यक्तित्व थे, लोग उन्हें आज़ादी का पूरा श्रेय देते हैं पर शायद यह लोगों के मन में उनके प्रति श्रद्धा के कारण है. और भी थे आज़ादी के दीवाने.

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