क्या प्राइमरी शिक्षा का हो केन्द्रीयकरण ?

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वर्तमान भारत में प्राइमरी शिक्षा ध्वस्त हो गई है, चूर-चूर हो गई है। इसके पांच कारण हैं : प्रथम- मिड डे मिल स्कीम, द्वितीय- शिक्षकों का स्थानीय होना, तृतीय- शिक्षकों में यूनियनबाजी, चतुर्थ- स्थानीय स्तर पर ग्राम प्रधान, एमएलए, एमपी का हस्तक्षेप, पांचवीं- व्यापक भ्रष्टाचार। पूरे भारत में राज्य सरकारें स्थानीय रूचि समूह (इंट्रेस्ट ग्रुप्स) की बंधक बन चुकी हैं तथा प्राइमरी शिक्षा पंगु हो गई है। समस्त राज्य सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में फेल हो चुकी हैं। दूसरी आ॓र इस वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिणाम चौंकाने वाले रहे। इसमें ‘नवोदय विघालय’ का परफॉरमेंस शीर्ष पर रहा। ‘केंद्रीय विघालय’ रहा दूसरे नंबर पर। तीसरे स्थान पर प्राइवेट स्कूल तथा चौथे स्थान पर रहे राज्य स्तर के सरकारी स्कूल। इससे एक बात स्पष्ट है कि भारत की राज्य सरकारें तीन मामलों में फेल हैं- प्राइमरी शिक्षा, प्राइमरी स्वास्थ्य सेवाएं तथा प्राइमरी बुनियादी ढांचा विकास। चूंकि यह नॉलेज इकॉनमी का युग है और ‘सेवा’ क्षेत्र अहम है, इसलिए यदि भारत को नॉलेज इकॉनमी बनना है, जो प्राइमरी शिक्षा का आधार है तो यह जरूरी हो जाता है कि केंद्र सरकार प्राइमरी शिक्षा को अपने नियंत्रण में ले ले, ताकि बहुसंख्यक भारतीय अपने बच्चों को ‘सेवा’ क्षेत्र लायक बना सके।

ये विचार चंद्र भान प्रसाद के हैं , जिसे आप यंहा क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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5Comments
  1. हो जाए तो बला टले मास्टर साहब ..हम भी सरकारी स्कूल के प्रोडक्ट हैं ..पता है वहां की अव्यवस्थित शिक्षा प्रणाली.

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  2. प्राइमरी स्कूलों से गये गुजरे तो आजकल इंजीनियरिंग कालेजों के अध्यापक हैं।

    सरकारी प्राइमरी सिक्षा प्रणाली के असफ़ल होने के जो कारण लेख के आरम्भ में आपने गिनाये हैं, वे बहुत ही दमदार हैं।

    किन्तु यह कहना कि इसे केन्द्र के हवाले कर दिया जाय, और भी गलत कदम होगा - बेल से टपककर बबूल में अटकने जैसा!


    आप द्वारा उठाये गये मुद्दे एवं उन पर व्यक्त किये गये विचार अत्यन्त परिपक्व लगते ऐं। इसे जारी रखिये। हिन्दी जगत का रत्न बनेगा आपका ब्लाग।

    (विद्यालय के बजाय विघालय या विधालय गलत है)

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  3. शत-प्रतिशत सहमत हूं आपसे। एक कारण आैर जोड़ लीजिए कि बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रोन्नति भी शिक्षा की लुटिया डुबो रही है।

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  4. अच्छा विश्लेषण एवं विचारणीय मुद्दा!!

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  5. मैं भी एक प्राइमरी का मास्टर हूं। आपके कथन से पूर्णतया सहमत हूं। इन्तजार हैं आम जनता की नजर इधर जाये और सरकार को इस व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की सद्बुिद्ध आये।

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