अभिव्यक्ति की क्षमता पहले आना ज़्यादा आवस्यक

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भाषा और बोली एक ही बात है / एक समय जंहा ब्रज साहित्य की भाषा थी , आज उसकी जगह खड़ी बोली ने ले ली है / अँग्रेज़ी ने अपनी लिपि लैटिन से ली है / वास्तव मे बोली और भाषा का अंतर भाषाई नहीं बल्कि राजनैतिक है - किस समय समाज किस भाषा को कितना महत्व देता है, यह तय कर देता है कि वो मानक है या नहीं / हमे इनमे फ़र्क करने की रूढ़ि छोड़नी होगी / प्रायः बच्चे शुरूवाती दौर मे अपनी घरेलू भाषा का प्रयोग बोलने मे करते हैं / लेकिन जब हम टोका - टाकी शुरू कर देते हैं तो उनमे अपनी घरेलू भाषा के प्रति हीन - भावना पनपने लगती है / यहीं पर भाषा शिक्षण मे रुकावट जाती है /
व्याकरण जानना ज़रूरी है / जिस भाषा मे बच्चा बोलता है उसमे वह भाषाई ग़लतियों को पहचान ही लेता है ( नहीं तो वह बात-चीत ही कैसे कर पाता ? )/ समस्या तो तब आती है जब हम उसे मानक भाषा के व्याकरण क़ी ओर ले जाना चाहते हैं / लेकिन यह तो भाषा का पर्याप्त उपयोग करने पर ही बेहतर ढंग से सीखा और समझा सकता है , ना कि उसके बारे मे पढ़कर / व्याकरण के अमूर्त नियम याद करवाना भाषा सीखने क़ी सहज प्रक्रिया से मेल नहीं ख़ाता / इनका उपयोग उँची कक्षाओ मे ही ज़्यादा उचित है /
व्याकरण और शब्दकोष , शुद्ध और अशुद्ध भाषा सब बाद मे लें / पहले भाषा बोलने दें और स्वाभाविक रूप से सीखने का मौका दें / अभिव्यक्ति का साहस और परिस्थितियों के अनुसार अभिव्यक्ति की क्षमता पहले आना ज़्यादा आवस्यक है /

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3Comments
  1. आपके विचारो से सहमत हूँ . धन्यवाद

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  2. बोली से ही भाषा उपजती है, विकसित होती है । बोली वास्तव में भाषा की आधारभूमि है । भाषा बोली की शास्त्रीयता का परिणाम होती है । प्रचलित अर्थों में हम बोली को हीन अर्थों में लेते हैं जबकि भाषा को उन्नत भावों में । यह एक तरह की मानवीय हीनता ही है । ऐसे में कई बार होता क्या है कि हम किसी बोली में ही अपना संसार चलाते हैं, पर जब कोई शासकीय बात आती है तो किसी भाषा को अपनी मातृभाषा बताते हैं । यह भी गलत और अन्याय है । जबकि वह भाषा हमारी मातृभाषा नहीं हुआ करती । यह अलग बात है कि हम स्कूल में, सरकारी कामकाज में उसका व्यवहार करते हैं । उदाहरण के लिए जनसंख्या गणना के समय भी हममें से कई हिंदी को अपनी मातृभाषा लिखाते हैं जबकि वास्तव में उसकी कोई बोली ही हमारी मातृभाषा होती है । यह विचारणीय मुद्दा है ।

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  3. अच्छी बात कही आपने.
    सहमत हूँ.

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